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मुख्यमंत्री के नल-जल योजना बना लूट-खसोट का जरिया।

 मुख्यमंत्री के नल-जल योजना बना लूट-खसोट का जरिया।



नावकोठी (बेगूसराय)  एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री हर घर नल से जल योजना को अपना सफल प्रोजेक्ट के रूप में पेश करतें नहीं थकते हैं दूसरी ओर वहीं नल-जल                              नावकोठी प्रखंड में हाथी का दिखानें वाला दांत साबित हो रहा है।  हम बात कर रहें हैं डफरपुर पहसारा, छतौना समसा  व अन्य गांव की जहां पर नल-जल योजना का नाम तो है , लेकिन पानी कहीं दिखाई नहीं देता है । लोग चापाकल का आयरण युक्त और कई खतरनाक तत्व जिसे पीना जानवर के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता उसे मानव पीने को मजबूर हैं। कुछ पंचायत में पानी दिखाई दें रहा है तो नल नहीं ,नल तो जल नहीं। वहीं स्थिति ऐसी दिखती है कि बिना नल का जल हजारों लीटर सड़क पर बहता हुआ देखा जा सकता है, जिससे आवागमन को अवश्य प्रभावित कर रहा है ।  महीना में कभी पानी नसीब भी हो जाये तब उपभोक्ता को ये समय मालूम नहीं कि कितना बजें पानी नसीब होगा। वही छतौना पंचायत के वार्ड न० 17 का अगर बातें करें तो टावर कभी भी टूट कर गिर सकता है। टंकी के पास मौजूद एक घर मौजूद है जब भी गिरेगा तो बहुत बड़ा दुर्घटना होने की आशंका है। लोग हादसे के शिकार हो सकते हैं ।रमेश मिश्रा ने कहा कि यह नल-जल का टावर  का पत्ती बनातें समय ही झुक गया  लेकिन उस समय शिर्फ दो एंगल देकर बेलडिंग कर दिया गया । अब यह मेरे घर के तरफ कभी भी गिर सकता है । अगर यह टावर घर की तरफ गिरा तो हमारा घर कभी भी हादसे का शिकार हो सकता है । प्रभात कुमार ने कहा कि हर जगह नल लगाया गया लेकिन हमारे घर और अगल बगल कही भी नल नहीं लगाया गया । वही डफरपुर पंचायत के वार्ड 14 अविनाश कुमार ने कहा कि घर के आगे से पाइप गया लेकिन हमारे घर पर नल नहीं लगाया गया है , लेकिन हमारे घर के पीछे खेत मे नल अवश्य लगाया है जिसका पानी से खेत पटाई होता है । कई जगह नल-जल का पाइप बिछा, नल भी लगा लेकिन पानी नहीं चलाया जाता है । जिला प्रशासन को इस पर सख्त कार्यवाही करनें की जरूरत है, नहीं बिहार के मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट केवल फाइल में सिमटते देखा जा रहा और जनता बेहाल अधिकारी व ठेकेदार मालामाल दिख रहें हैं।

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