*दा रियल लव*
उसके इश्क़ में मनमानी बहुत हैं,
फिर भी आँखों में पानी बहुत है।
उसका नाम जानना चाहते हो न,
नाम लेने में परेशानी बहुत है।
इसी फरवरी में मुझे आज़मा लेना,
ये दिल आज भी उसका हैं।
किसी ने क्या खूब कहाँ हैं,
"बुलाती हैं मगर जाने का नही"
अरे कम्बख़त मेरा दिल
भी कुछ पिघल बैठा था।
वो जिस दिन बुलाया करती थी,
मैं अक़सर अपना पूरा काम
छोड़कर जाया करता था।
अरे हमें क्या पता था कि,
उसका काम था दिल चुराना
वो हमसे प्यार की भूख
मिटाना चाहती थी।
"इसलिये दोस्तों बुलाती हैं
मगर जाने का नही।
- हिमांशु कुमार
मंझौल, बेगूसराय

