तेघड़ा अनुमंडल कार्यालय में रिश्वतखोरी चरम सीमा पार करतें देखा जा रहा हैं । रिश्वत के भरोसे अनुमंडल कार्यालय से बनती है शपथपत्र।
चढ़ावा नहीं देने पर पिडित को महीनों अनुमंडल कार्यालय के लगानें पड़ते हैं चक्कर।
वॉइस ऑफ इंडिया संवाददाता।
तेघड़ा ( बेगूसराय )::- एक ओर भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाने को लेकर जिला में कार्यवाही होते देखीं जा रही हैं वहीं दूसरी ओर कि अनुमंडल कार्यालय में रिश्वतखोरी चरम सीमा पार करतें देखा जा रहा है। हम बात कर रहें हैं बेगूसराय जिलें के तेघड़ा अनुमंडल की जहां काम करने वाले एक कर्मचारी की रिश्वतखोरी का मामला कैमरे में कैद हो गया। और रिश्वत भी ऐसे ली जा रही है जैसे कर्मचारी का लेना जन्मसिद्ध अधिकार है जिसे बिना चढ़ावा के काम आगे नहीं बढ़ता है। चलिए विस्तार से बताते हैं क्या है मामला झंझट टाइम्स अखबार की टीम को जानकारी मिली कि तेघड़ा अनुमंडल कार्यालय में बिना चढ़ावा का कोई भी व्यक्ति को शपथपत्र नहीं दिया जा रहा है। और जब कार्यालय में देखा गया तो जानकारी सच साबित हुई जहां शपथपत्र देने के वक्त जो हस्ताक्षर करवाया जा रहा था ।उस रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के एवज में 100 से 200 रूपया चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। संयोग कोई गरीब इस राशि को देने में अपनी असहमति जताई तो फिर क्या कम से कम 15 दिनों तक अनुमंडल के कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। ये देखने से ऐसा लगता है कि अनुमंडल कार्यालय में रिश्वत लेकर किसी का भी कोई काम होना आम बात हो चुका है। कहीं ऐसा तो नहीं चढ़ावा देने से झूठा शपथपत्र भी उपलब्ध हो जाता है और उस शपथपत्र को विभिन्न उद्देश्यों में इस्तेमाल किया जाता है। ये वही कर्मचारी हैं जिनके देखरेख में भ्रष्टाचारियों का गंगा बहतें अनुमंडल कार्यालय में देखा जा सकता है। इस मामले में अनुमंडल पदाधिकारी से पक्ष लेने की कोशिश की गई मगर कोई पक्ष नहीं मिल पाई।