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BREAKING NEWS आखिर क्यों पत्रकार लगातार गिराते जा रहें हैं अपनी गरिमा

 आखिर क्यों पत्रकार  लगातार गिराते जा  रहें  हैं अपनी गरिमा? 

आखिर अब क्यों पत्रकार को पत्रकार कहने में शर्म आती  है ?

वॉइस ऑफ इंडिया के संवाददाता रामाधार साहनी के साथ आर.के.राय की खास रिपोर्ट बिहार

बिहार :  विभिन्न जिलों में पत्रकारों के नाम कहने पर अब शर्म  आने लगता है क्योंकि दिल्ली से लेकर पटना के बड़े  न्यूज़ चैनल के और दैनिक  अखबार के संवादाता किसी भी कार्यक्रम में 200 से लेकर ₹500 के लिए अपना  ईमान बेच देते हैं। इतना ही नहीं बड़े बड़े अखबार के जिले के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों के प्रमाण पत्र बांट कर नाजायज पैसा वसूल करने का भी गोरख धंधा चलाते हैं ।

किसी भी दल में और यह हस्ती नहीं काम पर अखबार में जगह पा ले। सबसे खराब स्थिति सत्ता दल  के लोगों ने पिछले 15 वर्षों में पत्रकारों को गिराने में अहम  भूमिका निभाई है। किसी भी अच्छे कार्यक्रम देश हित के लिए खबर दिखाना तो अब दूर की बात हो गई क्योंकि बड़े बड़े माफिया बड़े-बड़े घोटाला वाज या तो अपना अखबार निकालते हैं या दूसरे अखबार में पत्रकारों को नजायज राशि देकर उसे खरीद लेते हैं इस गोरखधंधे में ना केवल पत्रकारों की छवि गिरी है बल्कि पत्रकार कहने में भी शर्म आने लगा है।


 ऐसे लोगों को समाज से बहिष्कृत किया जाना चाहिए ताकि पत्रकार एक मिशन है मिशन को बर्बाद करने के लिए एक सोची समझी साजिश की जा रही है। जिसके आगे बेहद  खतरनाक परिनाम होंगे। रविवार को  समस्तीपुर कॉपरेटिव बैंक के वार्षिक कार्यक्रम के अवसर पर पांच सौ ₹500 बड़े चैनल  वाले के और दैनिक अखबार के रिपोर्टर के हाथ में लेते हुए देखा गया है। जो शर्म की बात है इस घटना से पत्रकारों की छवि  धूमिल हुई ।

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