कर्पूरी जी की पुण्य तिथि तथा जयंती पखवाड़ा समापन के अवसर पर " वर्त्तमान समय में कर्पूरी ठाकुर के विचारों की प्रासंगिकता " विषय पर व्याख्यान देते हुए तरूण निश्चल " प्रज्ञान " ने बिहार सरकार से मांग की कि सभी जेपी आन्दोलनकारी को समान रूप से सम्मान-पेंशन दी जाये
तथा कर्परी जी को भारत रत्न की उपाधि दी जाये ।बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष माननीय तरूण निश्चल " प्रज्ञान " ने कर्पूरी ठाकुर की पुण्य तिथि तथा जयंती पखवाड़ा के समापन के अवसर पर मुजफ्फरपुर जिला अधिवक्ता प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित जाफरपुर के महती सभा को संबोधित करते हुए " कर्पूरी ठाकुर के विचारों की प्रासंगिकता " विषय पर व्याख्यान दिए। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद माननीय राजनीती प्रसाद, अतिथि के रूप में पूर्व विधायक माननीय मिथिलेश प्रसाद यादव, पूर्व
विधायक केदार प्रसाद आदि उपस्थित नेताओं ने भी कर्पूरी ठाकुर जी के कृतित्व पर चर्चा की । माननीय तरूण निश्चल प्रज्ञान ने अपने व्याख्यान में कहा कि बिहार के लाल कर्पूरी ठाकुर जी एक गरीब परिवार से आते थे । अपने संघर्ष के बल पर वे समाजवाद के बड़े झंडाबरदार के निकट पहुंच कर अपना मुकाम बनाये थे । ऐसे सक्शियत का जन्म 24 जनवरी और हृदय गति रूकने से उनका देहान्त 17 फरवरी को हो गया था । एक साधरण नाई परिवार में उनका जन्म हुआ था । धीरे-धीरे आगे बढते हुए डाॅ राम मनोहर लोहिया, मधुलिमये जी, राज नारायण जी , जार्ज फर्नांडिस आदि के सानिध्य एवं सम्पर्क में आये और समाजवाद के अग्रणी पंक्ति के सूझ-बूझ वाले श्रेष्ठ नेतृत्वकारी बन कर गरीबों कीआवाज को बुलंद किये तथा अपने जीवन में शोषित वर्गके लिए हमेशा चिन्तनशील रहे। वे गरीबी के मारे अंतिम पायदान पर किसी तरह से जिन्दगी जीने वाले के लिए हमेशा सोचा करते थे । वे अपने जीवन काल में एक बार उपमुख्यमंत्री तथा दो बार मुख्यमंत्री का पद सुशोभित कर चुके थे । 1977 में जब पिछड़ों की बहुतायत वाली पूर्ण बहुमत की जनता पार्टी की 1977 में स्थापित उनकी सरकार का मुख्यमन्त्री के रूप में अगुवाई करने का मौका मिला तो उन्होंने अंतिम पंक्ति के गरीबों के लिए "अन्त्योदय योजना " बनायी तो बिहार में गरीबों के बीच सच्चा साथी के रूप में वे अपना पहचान बनायी थी । उन्होंने उसी सरकार के एक और फैसले से बिहार में पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू कर मील का पत्थर गाड़ने का काम किया जो एक ऐतिहासिक फैसला था। इस फैसले के कारण समाजवाद के विरोधी साम्प्रदायिक शक्तियां तथा जातिवाद के शीरमौर्य ने पूरे देश में आगजनी के साथ राष्ट्रीय सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हुए आन्दोलन किया । इसमें भाजपा वाले जनसंघ तथा कांग्रेस ने खुलेआम विरोध-प्रदर्शन किये। लेकिन कर्पूरी जी समय का तकाजा समझा और पुरी अडिगता से अपने निर्णय पर अड़े रहे। वे गरीबों के सच्चा हमदर्द थे । इन्हीं गुणों के कारण वे जननायक के रूप में ख्याति से नवाजे गये। आज भी देश में साम्प्रदायिक शक्तियां अपना हितैसी छलीया रूप धारण कर हमारे देश के गरीबों ,शोषितों, दवे- कुचलों को दबाने तथा उन्हें जाथिवाद के दलदल में पुनः फांसने के लिए षड्यंत्रकारी भुमिका में सक्रिय होकर हमारे ही बहुजनों को हिन्दू होने के जहर से सम्बोधित कर फांस लिया है तथा पूर्व की तरह इसी तरकस से बहुजनों को अपने मकसद के लिए अपने ही लोगों से जख्मी कर सत्ता पर काबिज रहना चाहता है ताकि पूर्व की भांति भौतिक और प्राकृतिक संसाधनों पर कुंडी मार कर शोषण करता रहे तथा जिनका अधिकार बाबासाहेब ने अपने रचित संविधान से दे रखा है, उसे हटाकर तथाकथित मनुवाद को कानून लागू कर देश के दलितों, पिछड़ो अल्पसंख्यकों को दासता की बेरी में बांध कर मनमर्जी से शासन चलाते रहे।हमारे समाजवाद के पुरोधा जिसमें जननायक कर्पूरी ठाकुर के साथ कितने ही बलदानियों ने बड़े ही संघर्ष से बदलाव किया है उसे समाप्त कर आपकेऔर हमारे हक को छिनना चाहते , जिसे आज बचाना जरूरी है। इसमें हमारी वर्तमान और आने वाली पीढियों के जीवन और जीने का सबाल है। इसलिए आज हमारे पूर्वज कर्पूरी जी की अभिचेतना और विचार
प्रासंगिक है।
उन्होने आगे कहा कि बिहार सरकार ने जेपी सेनानियों को विभेद
पूर्वक सम्मान पेंशन दे रही है जबकि
आन्दोलन में भाग लेने वालों पर
तत्कालीन कांग्रेसी हुकूमत ने प्रताड़ित
करने के उद्देश्य से मीसा-डी आई आर दफा वालों को छोड़कर अन्य दफा में
बंद आन्दोलनकारियों को सम्मान-पेंशन नहीं देकर समानता के
अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। जबकि 1978 में बिहार के मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर ने सभी आन्दोलनकारियों पर से एक समान रूप से मुकदमा वापस ले लिया गया धा ।
भवदीय
तरूण निश्चल " प्रज्ञान "
( पूर्व ए एफ डी ओ )
जे पी सेनानी, समाज सेवी प्रदेश उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय जनता दल,
बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ , बिहार प्रदेश ।
साहित्यकार एवं लोक कवि