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मानवाधिकार सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा० राजकुमार आजाद ने संबोधित करते हुए कहा कि गुरु तीन प्रकार के होते हैं


 बेगुसराय जिला अन्तर्गत भगवानपुर प्रखंड के दहिया गांव में माघी पूर्णिमा के अवसर पर एक दिवसीय कबीर पंथ संत सम्मेलन का आयोजन किया गया

। जिसकी अध्यक्षता श्री बिहारी साहब ने किया तथा मंच संचालन डा० सूरज साहब ने किया। मुख्य अतिथि विश्व कबीर विचार मंच के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा० राजकुमार आजाद ने संबोधित करते हुए कहा कि गुरु तीन प्रकार के होते हैं । गुरु, सतगुरु तथा जगतगुरु । गुरु से शिक्षा प्राप्त व्यक्ति उच्च पदाधिकारी तो जरूर बन जाता है लेकिन पदाधिकारी बनने के बाद पदाधिकारी बनाने वाले माता-पिता,दादा दादी को बुढ़ापे में अनाथ आश्रम छोड़ आता है लेकिन सद्गुरु से दीक्षा प्राप्त व्यक्ति भले पदाधिकारी नहीं बन पाता है लेकिन अपने माता-पिता, दादा दादी आदि रिश्तेदारों को अनाथ आश्रम नहीं भेजता है । स्वयं श्रवण कुमार बनकर माता पिता को ही भगवान समझता है । इस लिए व्यक्ति को गुरु के साथ ही अध्यात्मिक गुरु भी अवश्य बनाना चाहिए । मुख्य वक्ता विश्व कबीर विचार मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राष्ट्रीय मानवाधिकार सेवा ट्रस्ट के बिहार महिला प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती पूनम आजाद ने गुरू दिहलन अमृत के जडिया ,"कि जडिया के घोइल के पिलायब ,सास के पिलायब,ससूर के पिलायब, नहीं लगिहें ओझा गुणियां " गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । विशिष्ट अतिथिगण डा० जगदीश दास, शंकर दास, घनश्याम दास, लूटन दास, राम स्वरूप दास, सियाराम दास, चन्द्र कला दासिन, बिमला दासिन, शिवशंकर दास,राजो दास, टुनटुन दास, सीताराम दास, रामनारायण दास, पवनदेव दास आदि संतों महंथो ने अपने प्रवचन एवं भजन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।  आयोजनकर्ता मंडल जी ने सभी अतिथियों को पुष्पों की माला पहनाकर तथा चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया ।

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